“कनाडा और भारत: द्विपक्षीय संबंधों की दास्तान”
कनाडा ने हाल ही में भारत पर एक गंभीर आरोप लगाया है, जो खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर (Hardeep Singh Nijjar) के खिलाफ है। इसके परिणामस्वरूप, भारत ने कनाड़ा के दूतावास से एक राजनयिक को निष्कासित कर दिया है, जिससे दोनों देशों के रिश्तों में तनाव बढ़ गया है।
इस पर्दे के पीछे, विदेश मंत्रालय ने कहा है कि कनाड़ा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोप अवापसी हैं। इसके बावजूद, यह तलवार का खेल कनाड़ा और भारत के बीच के संबंधों में नई चुनौतियों का प्रतीत हो रहा है, जो G-20 सम्मेलन के बाद और भी बढ़ गई हैं।

G-20 सम्मेलन के बारे में अब बात करें। इस महीने, दिल्ली में आयोजित जी-20 सम्मेलन में कनाड़ा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भी शामिल थे। यहां भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रूडो के सामने सिख अलगाववादी समुदाय के सदस्यों को संरक्षण देने और भारतीय राजनयिकों पर हमले के मामले को उठाया, जिसके परिणामस्वरूप तनाव बढ़ गया।
जब ट्रूडो वापस लौटे, तो कनाड़ा ने अक्टूबर में भारत के साथ व्यापारिक मिशन को रोक दिया। कनाड़ा की व्यापार मंत्री मैरी एनजी ने इसके पीछे का कोई खास कारण नहीं बताया है, लेकिन यह जी-20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी की नाराजगी से जुड़कर देखा जा रहा है।
अब हम दोनों देशों के रिश्तों की ओर आगे बढ़ते हैं। कनाड़ा और भारत के रिश्ते दरअसल काफी पुराने हैं। कनाड़ा एक ऐसा देश है जिसमें भारतीय समुदाय के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं, और कनाड़ा की कुल जनसंख्या का लगभग तीन प्रतिशत हिस्सा भारतीय मूल के लोगों का है। एक रिपोर्ट के अनुसार, कनाड़ा में लगभग 16 लाख भारतीय मूल के लोग हैं, और इनमें से करीब 7 लाख एनआरआई (अबडिक्ट्स) हैं।
कनाड़ा की 2021 की जनगणना पर नजर डालें, तो यहां लगभग 770,000 सिख हैं। 2015 में,
जब जस्टिन ट्रूडो प्रधानमंत्री बने, तो उनकी कैबिनेट में 3 सिखों को जगह मिली।
अब हम व्यापारिक रिश्तों की ओर बढ़ते हैं। वर्ष 2022-23 में, भारत ने कनाड़ा को 4.10 अरब डॉलर के बराबर की चीजें निर्यात की, जो कनाड़ा के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार है। इसके पूर्व, 2021-22 में भारत ने 3.76 अरब डॉलर की चीजें निर्यात की थी। कनाड़ा भी उत्तराधिकृत रूप से भारत के साथ व्यापार कर रहा है और 2022-23 में भारत को 4.05 अरब डॉलर के बराबर की चीजें निर्यात की गई। 2021-22 में, कनाड़ा ने 3.13 अरब डॉलर की चीजें भारत को निर्यात की थी।
अब हम निवेश की ओर बढ़ते हैं। कनाड़ा के पेंशन फंड ने भारत में करीबन 55 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है, और ओंटारियो टीचर्स पेंशन फंड ने 3 बिलियन डॉलर का निवेश किया है। यह निवेश हाईवेज इंफ्रा ट्रस्ट, महिंद्रा सस्टेन, और सहयाद्री हॉस्पिटल्स जैसे ग्रुप्स में किया गया है।
अब बात करें, किन चीजों की भारत कनाड़ा से खरीदारी करता है। भारत कनाड़ा से दवाएं, फार्मा प्रोडक्ट्स, रेडीमेड गारमेंट्स, ऑर्गेनिक केमिकल्स, आयरन, स्टील, ज्वेलरी, सजावटी पत्थर, और कुछ इंजीनियरिंग इक्विपमेंट्स खरीदता है।
अब हम देखते हैं कि कनाड़ा किन चीजों की खरीद करता है। भारत से, कनाड़ा दालें, आयरन स्क्रैप, खनिज, न्यूज़ प्रिंट्स, वुड पल्प, पोटाश, और इ
Industrial Chemicals जैसी चीजें खरीदता है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि भारत में कनाड़ा की करीब 600 कंपनियां काम कर रही हैं, और कनाड़ा में भी तमाम भारतीय कंपनियों का व्यापार है। खासकर, आईटी, सॉफ्टवेयर, बैंकिंग सेक्टर, और नेचुरल रिसोर्सेज जैसे क्षेत्रों में भारतीय कंपनियों का प्रभाव है।”
इस तरह से, कनाडा और भारत के द्विपक्षीय संबंधों की महत्वपूर्ण बातें समझाई गई हैं।
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