भारत अपनी खुद की एक वायु रक्षा प्रणाली (Air Defence System) विकसित कर रहा है जिसे लॉन्ग-रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल (LR-SAM) सिस्टम कहा जाता है। यह इज़रायल के आयरन डोम (Iron Dome) सिस्टम से कई मायनों में अधिक प्रभावी होने की उम्मीद है।
पहला, LR-SAM की रेंज अधिक होगी, 350 किलोमीटर तक, जबकि आयरन डोम की रेंज 70 किलोमीटर है। इसका मतलब है कि LR-SAM अधिक दूर से आने वाले खतरों का पता लगा सकेगा और उन्हें नष्ट कर सकेगा, जिससे भारत को प्रतिक्रिया करने के लिए अधिक समय मिलेगा।
दूसरा, LR-SAM स्टील्थ फाइटर्स, ड्रोन, क्रूज़ मिसाइलों और प्रेसिजन-गाइडेड मूनिशन सहित व्यापक श्रेणी के लक्ष्यों को शामिल करने में सक्षम होगा। आयरन डोम को मुख्य रूप से छोटी दूरी के रॉकेट और आर्टिलरी शेल को इंटरसेप्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
तीसरा, LR-SAM के आयरन डोम की तुलना में उच्च सिंगल-शॉट किल capability होने की उम्मीद है। इसका मतलब है कि एक मिसाइल लॉन्च के साथ एक लक्ष्य को नष्ट करने की बेहतर संभावना है।
LR-SAM को भारतीय उद्योग के सहयोग से रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया जा रहा है। उम्मीद है कि इसे 2028-29 तक भारतीय सेना द्वारा तैनात किया जाएगा।
LR-SAM कैसे S-400 का पूरक बनेगा

LR-SAM रूसी निर्मित S-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्टम का पूरक होगा, जिसे भारतीय वायुसेना (IAF) ने खरीदा है। S-400 एक लंबी दूरी की वायु रक्षा प्रणाली है जो 400 किलोमीटर की दूरी पर लक्ष्यों को संलग्न कर सकती है। हालांकि, यह मुख्य रूप से उच्च ऊंचाई वाले लक्ष्यों, जैसे विमान और क्रूज मिसाइलों को शामिल करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
दूसरी ओर, LR-SAM को कम ऊंचाई वाले लक्ष्यों, जैसे ड्रोन और क्रूज मिसाइलों को शामिल करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसका उपयोग बैलिस्टिक मिसाइलों को उनकी उड़ान के अंतिम चरण में इंटरसेप्ट करने के लिए भी किया जा सकता है।
LR-SAM और S-400 का शामिल होना भारत को एक मजबूत लेवल की वायु रक्षा प्रणाली प्रदान करेगा जो भारत विभिन्न प्रकार के खतरों से बचा सकता है।
What is Project Kusha | प्रोजेक्ट कुशा
प्रोजेक्ट कुशा Defence Research and Development Organisation (DRDO) की एक परियोजना है जिसका उद्देश्य लॉन्ग-रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल (LR-SAM) प्रणाली विकसित करना है। LR-SAM प्रणाली एक लंबी दूरी की वायु रक्षा प्रणाली है जो 350 किलोमीटर तक की दूरी पर लक्ष्यों को भेद कर सकती है।
उम्मीद है कि यह Israel के Iron Dome सिस्टम की तुलना में कई मायनों में अधिक प्रभावी होगा, जिसमें रेंज, लक्ष्य जुड़ाव क्षमता और सिंगल-शॉट किल probability शामिल है।
भारत सरकार ने LR-SAM प्रणाली के विकास को “मिशन-मोड” परियोजना के रूप में मंजूरी दे दी है, और भारतीय वायुसेना के लिए ₹21,700 करोड़ की लागत से इस प्रणाली के पांच स्क्वाड्रनों का ऑर्डर भी दिया है।
TOI द्वारा उद्धृत स्रोतों के अनुसार, LR-SAM प्रणाली में रूसी S-400 वायु रक्षा प्रणाली के समान “तुलनीय” अवरोधन क्षमता होने की उम्मीद है।
S-400 Air Defence System | रक्षा प्रणालि
भारत ने पाकिस्तान और चीन से दो मोर्चों पर खतरे से निपटने के लिए उत्तर-पश्चिम और पूर्व में तीन S-400 स्क्वाड्रन तैनात किए हैं।
S-400 दुनिया की सबसे उन्नत वायु रक्षा प्रणालियों में से एक है, जिसमें रडार, नियंत्रण उपकरण और कई प्रकार की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें हैं जो लगभग सभी प्रकार के हवाई लक्ष्यों, जैसे विमान, ड्रोन, बम, क्रूज मिसाइलों और बैलिस्टिक मिसाइलों का पता लगा सकती हैं और उन्हें नष्ट कर सकती हैं।
कुछ सैन्य विश्लेषकों का मानना है कि S-400 की Nebo-M रडार प्रणाली इतनी शक्तिशाली है कि यह पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ लड़ाकू विमानों, जैसे कि अमेरिकी F-35 और F-22 का भी पता लगा सकती है। इसका मतलब है कि ये उच्च तकनीक वाले लड़ाकू जेट, जो पारंपरिक रडार से बच सकते हैं, S-400 मिसाइलों के प्रति भी संवेदनशील हो सकते हैं।
भारत ने अमेरिकी आपत्तियों के बावजूद S-400 खरीदा, और अमेरिका ने किसी भी देश पर प्रतिबंध लगाए हैं जो रूसी हथियार प्रणाली खरीदता है। हालांकि, बाइडेन प्रशासन ने कथित तौर पर भारत के मामले में एक अपवाद बनाया है, क्योंकि नई दिल्ली हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक है।
अपने दुर्जेय वायु रक्षा प्रणाली के रूप में अपनी ख्याति के बावजूद, रूस ने कथित तौर पर हाल के महीनों में यूक्रेनी हमलों के कारण क्रीमिया में दो S-400 बैटरी खो दी हैं।
Israel ने Iron Dome क्यों विकसित किया?

इज़रायल ने Iron Dome को 2006 में इज़रायल और हिज़्बुल्लाह के बीच संघर्ष के बाद विकसित किया, जो दक्षिणी लेबनान से संचालित होता है। संघर्ष के दौरान, हिज़्बुल्लाह ने इजरायली शहरों पर हज़ारों रॉकेट दागे, जिससे व्यापक क्षति हुई और हताहत हुए।
Iron Dome रॉकेट हमलों से इज़रायल की रक्षा करने में बहुत प्रभावी रहा है। 2011 में पहली बार तैनात होने के बाद से, इसने 3,000 से अधिक रॉकेटों को इंटरसेप्ट और नष्ट कर दिया है।
अन्य वायु रक्षा प्रणालियों से तुलना
LR-SAM अमेरिकी पैट्रियट मिसाइल प्रणाली और चीनी HQ-9 मिसाइल प्रणाली जैसी दुनिया की अन्य उन्नत वायु रक्षा प्रणालियों के तुलनीय है। हालांकि, इन प्रणालियों पर इसके कुछ फायदे हैं।
उदाहरण के लिए, LR-SAM पैट्रियट मिसाइल प्रणाली की तुलना में अधिक किफायती है। यह अधिक मोबाइल और आसानी से तैनात भी है।
LR-SAM के HQ-9 मिसाइल प्रणाली की तुलना में उच्च सिंगल-शॉट किल प्रायिकता होने की भी उम्मीद है।
निष्कर्ष
भारत का LR-SAM सिस्टम देश की वायु रक्षा क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण विकास है। यह इज़रायल के आयरन डोम सिस्टम की तुलना में कई मायनों में अधिक प्रभावी होने की उम्मीद है, जिसमें रेंज, लक्ष्य जुड़ाव क्षमता और सिंगल-शॉट किल capability शामिल है।
LR-SAM S-400 ट्रायम्फ वायु रक्षा प्रणाली का पूरक होगा, जिसे भारतीय वायुसेना ने खरीदा है। साथ में, ये दो प्रणालियाँ भारत को एक अभेद वायु रक्षा प्रणाली प्रदान करेंगी जो Bharat विभिन्न प्रकार के खतरों से बचा सकेगी।